Sunday, August 14, 2011

Aaj aajad hue 65 sal ho gaye.....

magar Neharu aur Ghandhi ab sirf kitabon me rah gaye..


Badti hui bekari aur ye gundagardi..

ab hum aam log apne hi desh me gair rah gaye..


Suna hai ki sab mil ke lade the angrejon se..

ab to hum sab apno me hi kho gaye..

Tum sab mil kar ek naya itihas banana..

bhul kar jati aur dharm, ek naya bharat banana..

ki hum samjhdar log to bas baton me hi rah gaye.....


ki aaj aajad hue 65 sal hi gaye...............

Thursday, April 15, 2010

I LOVE YOU

More I go away from you...

More I find myself near you.

More I want, I shouldn't think about you...

More I realize deep into you.

More I try to accept life without you..

OHH...why didn't I say..

I LOVE YOU.....

Saturday, January 2, 2010

बेचारा एक ख्वाब

लो अब मन में एक और ख्वाब मचलने लगा है,
इतना बड़ा हो गया है की अब तंग करने लगा है।

न कुछ सोचता है और न समझता है....
बच्चों सा जिद करता है।

हम जानते है की कुछ ख्वाब पूरे नहीं हो सकते,
पर देखो न फिर भी मन भटकता है।

ऐसे ख्वाबो में रहना तो नींद में रहना हुआ,
जैसे किसी चिकनी सतह पर दौड़ना हुआ।

नहीं इसको मरना होगा औरो की तरह,
गला घोंट दूंगा इसका भी...
कुछ देर तडपेगा फर्श पर और सो जायेगा,

और मै फिर खो जाऊंगा अपनी बेरंग दुनिया में.....................

Tuesday, December 22, 2009

तुम...

क्या मै लिख पाउँगा तुम पर ??
मै तुम्हे लिखूंगा कैसे ??
किससे तुलना करूँगा तुम्हारी ??

तुम्हारी वो बांते.........
तुम्हारी वो हंसी ......
तुम्हारा वो चेहरा ......

उफ़... तुम्हारी वो आँखे ........

हाँ, शायद, मै आज भी कुछ नहीं लिख पाउँगा ........................

तो क्या कभी लिख पाउँगा तुम पर ????

Saturday, December 19, 2009

ख़ामोशी

हर तरफ शोर, उफ़ ये इतना शोर !
हर भाषा हर जगह का अपना अलग शोर।

इतनी उलझन मेरे कानो में जा रही है,
मुझे बेचैन और पागल बना रही है।

मै इन सभी भाषाओँ से दूर रहना चाहता हूँ.....
मै कुछ नहीं सुनना चाहता सिवाए ,
अपनी आती जाती सांसों के

मुझे कुछ जानना है और ही कुछ पढना है सिवाए,
ख़ामोशी के।

अंततः सूरज डूबता है...........
जैसे किसी लम्बी और उबाऊ किताब का...
आखिरी पन्ना ख़तम होता है

अब जा के मेरी खवाइश पूरी होती है
जो और कुछ नहीं ख़ामोशी है

लोग अब अपने अपने घरों में सोते है ...
पर मै शायद अभी थका नहीं हूँ

सोचता हु खुद को तो ये अहसास होता है की जैसे.....
समुद्र में कोई खाली नावं खो सी गयी है।

मै और कुछ नहीं पर अकेला हूँ..........




Friday, July 17, 2009

???????????

दुःख खाली समय में बढ़ क्यूँ जाता है ,
वफ़ा करने वाला ही क्यूँ छला जाता है ।

क्या इन्सान ने रिश्ते टूटने क लिए बनाये है ,
या रिश्ते हद से बढ़ न जाए .... कही इसलिए मतलबी इन्सान बनाये है।

एक तुम्हारे मतलबी होने से मेरी जिन्दगी बिखर क्यू गई........
क्या थी तुम मेरी जो अब नही हो?????
तुम्हे देखता हूँ तो तुम वही हो , मगर न जाने तुम वो नही हो।
तुम क्या हो ?????????????????????????

मैं अभी भी हस्त्ता हूँ पर खुश नही हूँ।
तुम अबी भी रोती हो पर दुखी नही हो।

ज़माना कहता है की तुम परेशां हो , पर मेरी नजरों में तुम बेमान हो।

Sunday, July 12, 2009

दिखावा............

Everyone, this story is about a girl and an innocent guy. Girl proposed the guy and start flirting with him. Boy also attracted towards her and been serious for this relationship. After some time that girl got engaged and her marriage got fixed. Boy was told from one of his best friend that she is quite happy and she has no issue regarding her marriage.

Now what next ... my poem will explain everything।

वो मेरी चौखट पे बैठे है, मेरा जी जलाने के लिए.............
वो हसना चाहते है मगर ... खामोश हैं, तमाशा बचाने के लिए ।

वो तो गैरों के पहले से ही हो चुके हैं ,
दो आंसू उन्होंने गिरा दिए .... यूँ ही मुझे समझाने के लिए ।

हमे शिकवा भी न करने दिया,
पहली ही मुलाकात में गैरों से मिला दिया .... ख़ुद को बचाने के लिए।

वो इतने खुदगर्ज निकलेंगे ये सोचा न था ,
मेरे दामन पे लगा दाग दिखा दिया ज़माने को...... ख़ुद का दामन बचाने क लिए।