Friday, July 17, 2009

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दुःख खाली समय में बढ़ क्यूँ जाता है ,
वफ़ा करने वाला ही क्यूँ छला जाता है ।

क्या इन्सान ने रिश्ते टूटने क लिए बनाये है ,
या रिश्ते हद से बढ़ न जाए .... कही इसलिए मतलबी इन्सान बनाये है।

एक तुम्हारे मतलबी होने से मेरी जिन्दगी बिखर क्यू गई........
क्या थी तुम मेरी जो अब नही हो?????
तुम्हे देखता हूँ तो तुम वही हो , मगर न जाने तुम वो नही हो।
तुम क्या हो ?????????????????????????

मैं अभी भी हस्त्ता हूँ पर खुश नही हूँ।
तुम अबी भी रोती हो पर दुखी नही हो।

ज़माना कहता है की तुम परेशां हो , पर मेरी नजरों में तुम बेमान हो।

Sunday, July 12, 2009

दिखावा............

Everyone, this story is about a girl and an innocent guy. Girl proposed the guy and start flirting with him. Boy also attracted towards her and been serious for this relationship. After some time that girl got engaged and her marriage got fixed. Boy was told from one of his best friend that she is quite happy and she has no issue regarding her marriage.

Now what next ... my poem will explain everything।

वो मेरी चौखट पे बैठे है, मेरा जी जलाने के लिए.............
वो हसना चाहते है मगर ... खामोश हैं, तमाशा बचाने के लिए ।

वो तो गैरों के पहले से ही हो चुके हैं ,
दो आंसू उन्होंने गिरा दिए .... यूँ ही मुझे समझाने के लिए ।

हमे शिकवा भी न करने दिया,
पहली ही मुलाकात में गैरों से मिला दिया .... ख़ुद को बचाने के लिए।

वो इतने खुदगर्ज निकलेंगे ये सोचा न था ,
मेरे दामन पे लगा दाग दिखा दिया ज़माने को...... ख़ुद का दामन बचाने क लिए।

बेवफा जिंदगी

जिंदगी जिज्ञासा से भरी है,
जिंदगी रहस्यों की गठरी है।

मौत ke घाटों पे जब ये देह,
किसी और देह को जलातीं है...
तब मन में एक सवाल उठती है,
जिंदगी बड़ी या मौत???
जिंदगी कड़वी सच्चाई है या मौत???

पुरी जिंदगी मैं इन सवालो में पड़ा रहू तो जिंदगी मौत से बदतर है....
जिंदगी में जितने सवाल बड़ते है ...जिंदगी उतनी छोटी होती जाती है।

कभी कभी लगता है की मौत ज्यादा अच्छी है ॥
जिन्दगी भर जीने ke बाद भी जिंदगी बेवफा हो जाती है
अंत तलक मौत ही अपनाती है।

तो क्या जिंदगी बेवफा है???

शायद ......... हाँ शायद ....
जिंदगी जिज्ञासा से भरी है ।

Saturday, July 11, 2009

वो धुंधला चेहरा....

दूर कहीं वो मुझसे मेरे ख्यालो में होगी,
मान बैठी होगी मुझे वो अपना जाने वो कहा होगी।
एक नजर भी अभी उसे नही देखा,
न जाने दूरी कब कम होगी।
वो धुंधला चेहरा कब सामने आएगा,
न जाने कब खुदा की रहन्मत होगी।

मेरी सुबह कुछ यूँ होती है....

मेरी सुबह कुछ यूँ होती है,

बंद आँखों ने जो देखा है की काश वो सच हो जाए ........
यूँ तो तुम्हारी खूबसूरती की बाते हर कोई करता होगा मगर,
काश की मेरी कविता कुछ अलग कह जाए .......
यूँ मेरी सुबह होती है !!!!

मेरी जिंदगी खुशाल है क्यूँ की तुमसे मुलाकात का आसरा है...
काश की मेरी खुशाली और बढ़ जाए , और ये सिलसला मुलाकात से कुछ आगे बाद जाए॥
इस इंतिजार में मेरी सुबह होती है ... की मेरी सुबह कुछ यूँ होती है ॥

जो कुछ भी इस पल में हो रहा है मेरे साथ, जो तड़प मेरे दिल में हो रही है तुम्हारे लिए.......
काश की ऐसा ही कुछ तुम्हारे साथ भी हो जाए , इस प्रार्थना में मेरी सुबह होती है, की मेरी सुबह कुछ यूँ होती है।